उड़ा पाल मांझी
बढ़ा नाव आगे
अरे शोक मत कर समझ भाग्य जागे
उड़ा पाल मांझी बढ़ा नाव आगे
अपने जीवन के नाव की पतवार खुद हीं हो . . .
अपने जीवन के नाव के मांझी भी खुद हीं हो . . .
ओ मांझी . . .
उड़ा पाल
बढ़ा नाव आगे
उड़ा पाल मांझी बढ़ा नाव आगे
न पड़ता दिखाई यदि हो किनारा
अगर हो गई आज प्रतिकूल धारा
क्षुधित व्याघ्र सा क्षुब्ध सागर गरजता
अगर अंध तूफ़ान करताल बजता
न थक कर शिथिल हो न भय कर अभागे
उड़ा पाल मांझी
बढ़ा नाव आगे
निशा है अँधेरी तिमिर घोर छाया
महाकाल मुख में जगत है समाया
कहीं से न आती अगर रश्मि रेखा
तुझे पथ दिखाती तड़ित ज्योति लेखा
अरे शोक मत कर समझ भाग्य जागे
उड़ा पाल मांझी
बढ़ा नाव आगे
बला से अगर आज पतवार टूटी
प्रलय नृत्य करती चली दिग्वधूटी
न साहस घटे धीर साथी न छूटे
न चिंता ह्रदय की प्रबल शक्ति लूटे
मरण देख तुझको स्वयं आज भागे
उड़ा पाल मांझी
बढ़ा नाव आगे
बढ़ा नाव आगे
अरे शोक मत कर समझ भाग्य जागे
उड़ा पाल मांझी बढ़ा नाव आगे
अपने जीवन के नाव की पतवार खुद हीं हो . . .
अपने जीवन के नाव के मांझी भी खुद हीं हो . . .
ओ मांझी . . .
उड़ा पाल
बढ़ा नाव आगे
उड़ा पाल मांझी बढ़ा नाव आगे
न पड़ता दिखाई यदि हो किनारा
अगर हो गई आज प्रतिकूल धारा
क्षुधित व्याघ्र सा क्षुब्ध सागर गरजता
अगर अंध तूफ़ान करताल बजता
न थक कर शिथिल हो न भय कर अभागे
उड़ा पाल मांझी
बढ़ा नाव आगे
निशा है अँधेरी तिमिर घोर छाया
महाकाल मुख में जगत है समाया
कहीं से न आती अगर रश्मि रेखा
तुझे पथ दिखाती तड़ित ज्योति लेखा
अरे शोक मत कर समझ भाग्य जागे
उड़ा पाल मांझी
बढ़ा नाव आगे
बला से अगर आज पतवार टूटी
प्रलय नृत्य करती चली दिग्वधूटी
न साहस घटे धीर साथी न छूटे
न चिंता ह्रदय की प्रबल शक्ति लूटे
मरण देख तुझको स्वयं आज भागे
उड़ा पाल मांझी
बढ़ा नाव आगे
2 comments:
Who is the writer of this poem
Shri Arasi Prasad Singh
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