एक बार एक संख्याविद किसि नदी किनारे पंहुचा. वहाँ लोगों को दूसरे पार पंहुचाने के लिये नाव चल रही थी. लेकिन संख्याविद साहब ने ध्यान से देखा, नाद खेने के प्रयुक्त्त “लग्गा” तो पानी में डूब हीं नहीं रहा है! उन्होंने “मुर्ख” नाविक से नदी में जगह जगह पर गहराई मापने के लिये कहा. जैसा कि संख्याविद को उम्मीद थी, औसत गहराई संख्याविद के कमर तक हीं थी!
संख्याविद पैदल हीं नदी पार करने चल परे!
वो कहाँ पंहुचेंगे आप सबको अच्छी तरह पता है!
वो हमें कहाँ पन्हुचायेगा?
No comments:
Post a Comment