Sunday, May 14, 2023

गले के स्पाइन की हड्डी (सर्वाइकल स्पाइन cervical spine) खासकर उसके निचले हिस्से की हड्डियों और सीने के स्पाइन की हड्डियों (dorsal डोर्सल या थोरैसिक thoracic स्पाइन) की सर्जरी

 वैसे तो कोई भी सर्जरी आसान नहीं होती है, खासकर स्पाइन की कोई भी सर्जरी आसान नहीं होती है पर शरीर के कुछ स्थान पर सर्जरी करना बहुत हीं मुश्किल काम होता है.

गले के स्पाइन की हड्डी (सर्वाइकल स्पाइन cervical spine) खासकर उसके निचले हिस्से की हड्डियों और सीने के स्पाइन की हड्डियों (dorsal डोर्सल या थोरैसिक thoracic स्पाइन) की सर्जरी करना सबसे कठिन स्पाइन सर्जरी में से माना जाता है.
दिल्ली के महाराजा अग्रसेन अस्पताल के डॉक्टरों के टीम (डॉ मनीष कुमार न्यूरोसर्जन, डॉ सुशिल भसीन न्यूरोसर्जन, डॉ एस के जैन कार्डिओ थोरैसिक सर्जन) ने ऐसी हीं एक सर्जरी किया जिसमें गले के स्पाइन की आखिरी हड्डी (C 7) और सीने के स्पाइन की सबसे पहली हड्डी (डोर्सल या थोरैसिक स्पाइन - D1 या T 1) बीमारी के कारण सड़ कर खराब हो चुकी थी और पस के कारण स्पाइनल कॉर्ड (spinal cord ब्रेन से





पाँव तक को कण्ट्रोल के लिये जाने वाला नसों का गुच्छा) दब रहा था जिसके कारण रोगी के हाथ पाँव में कमजोरी हो रही थी और सांस में भी दिक्कत होती जा रही थी. सर्जरी द्वारा C 6 से D 2 तक की सर्जरी करनी थी और 32 वर्षीया रोगी का गला काफी छोटा था जिसके कारण गले की नीचे तक सर्जरी की जरुरत थी.
सड़न आगे की हड्डियों के भाग वर्टेब्रा (vertebra) में था जिसके कारण पीछे से सर्जरी द्वारा इसका इलाज करना मुश्किल कार्य था. सर्जरी आगे से हीं करना था और गले और सीने के ऊपरी भाग को खोल कर करना था. रोगी को सबंधित खतरों की जानकारी के बाद न्यूरोसर्जन और कार्डिओ थोरैसिक सर्जन की टीम ने सर्जरी द्वारा इलाज किया।
गले के निचले हिस्से के साथ सीने के ऊपरी भाग में सर्जरी की गयी. ऑपरेशन द्वारा सीने की हड्डी को दायीं ओर से काट कर हार्ट और उसके बड़े खून की नलियों समेत, ट्रेकिआ (सांस की नली) और इसोफैगस (खाने की नली) को खिसकाया गया और सीधा वर्टेब्रा गले के स्पाइन की आखिरी हड्डी (C 7) और सीने के स्पाइन की सबसे पहली हड्डी (डोर्सल या थोरैसिक स्पाइन - D1 या T 1) पर काम किया गया. सड़ी हुई हड्डियों और पस को हटाया गया. फिर ऊपर और नीचे की हड्डी - C 6 से नीचे की हादी D 2 को साफ़ कर तैयार कर स्क्रू और रोड से जोड़ा गया.
सर्जरी के बाद रोगी तुरंत होश में आ गयी और खुद से अच्छा से सांस लेने लगी. अगले कुछ हीं दिनों में हाथ पांव् में अच्छा सुधार हुआ और वह खुद से चलने फिरने लगी और अपना काम करने लगी.
टी बी की दवाएं लगातार दी गयी वह इसलिए और जरूरी था क्यूंकी उसे दस सालों पहले टी बी हुयी थी.
अब वह पूरी तरह से नार्मल है. टी बी की दवा बंद कर दी गयी है.
सीने के स्पाइन की सबसे पहली हड्डी (डोर्सल या थोरैसिक स्पाइन - D1 या T 1) और उसके नीचे की हड्डियों का ऑपरेशन इस तरह आगे से किया जा सकता है. यह टेक्निकली कठिन लेकिन वैज्ञानिक रूप से सही सरजरी है और अच्छे नतीजे देती है. जरुरत होने पर इस विधि को जरूर अपनाया जाना चाहिए. खासकर कम उम्र के रोगियों में इस विधि को अपनाने से परहेज नहीं करना चाहिए।